@aftabali | ||
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन अपने गधे पर घूम रहे थे, जब लोगो की नज़र मुल्ल नसरुद्दीन पर नज़र गयी तो कहा की आप इस सवारी पर कहा जा रहे है, मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा की ये मेरा हवाई जहाज है, और में ऐसी पर रहता हु, ये मुझे कही भी ले जा सकता है, अब लोगो की कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, की कभी भी मतलब कहा-कहा ले जा सकता है, ये गधा, मुल्ला नसरुद्दीन को बहुत गुस्सा आ गया था, क्योकि वह अपने गधे को गधा नहीं समझता था, बल्कि उसके लिए अपना गधा एक काम का गधा था, मुल्ला जी वहा से चले गए थे, अब मुल्ला जी अपने घर गए और अपने गधे को बहुत अच्छा दिखने के लिए उस पर बहुत सारे रंग लगा दिए थे, रंग लगने के बाद अब गधा मुल्ल जी को तो बहुत पसंद था, लेकिन लोग क्या कैहँगे इस बारे मुल्ला ने नहीं सोचा था, अगले दी मुल्ला जी अपने गधे को लेकर चल दिया था,जब लोगो ने मुल्ला को देखा तो फिर से पूछने लगे की आज कहा की तैयारी है, मुल्ला जी कहने लगे आज में अपनी ससुराल जा रहा हू, सभी लोग मुल्ला की तरफ देखने लगे थे, क्योकि मुल्ला जी की ससुराल अपने गांव से सो किलोमीटर पर थी, सभी लोग मुल्ला जी और उसके गधे को देख रहे थे, सभी लोगो ने पूछा की तुम इस गधे पर कितने साल में पहुंचोगे, मुल्ला जी ने कहा की अपना काम करो और मुझे जाने दो,सभी लोग यह कह रहे थे की आज मुल्ला जी गए और अब पता नहीं कब यहां पर दिखेंगे, मुल्ला जी कहने लगे की अब देखते है की मेरी सवारी कितने समय में पहुंचेगी, सभी लोग अपने काम पर चले गए, अगली सुबह कुछ लोगो ने मुल्ला जी को देखा और वह अपनी बेगब के साथ खड़े थे, अब ये क्या मामला था,कल गए थे और आज घर पर है, रात-ही रात में आ भी गए और साथ में बेगम को भी ले आये, अब सभी लोग गधे को देख रहे थे, ये गधा है या कोई हवाई जहाज जो रात में ही वापिस आ गया था, अब लोगो ने मुल्ला नसरुद्दीन से कुछ भी नहीं पूछा, क्योकि मुल्ला जी सब कुछ कर सकते है, जो कोई नहीं कर सकता था,अब आप यही सोच रहे होंगे की ऐसा कैसे हुआ था, मुल्ला जी अपने गधे पर निकले ही थे, रस्ते में उन्हें बेगम आती हुई नज़र आयी और मुल्ला जी वही से वापिस हो गए थे, तो सारा किस्सा यह था, अब लोगो को हिम्मत नहीं हो रही थी पूछने की, और मुल्ला जी ऐसे कुछ बताते नहीं है, |
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