@aftabali | ||
किसी शहर में एक बंगला था । बंगला बहुत पुराने समय का बना हुआ था । पिछले 18 वर्षों से उसमें कोई रह नहीं रहा था । चाह कर भी लोग उसमें कभी नहीं रह पाते थे । उसमें में रहने वाले लोग या तो 24 घंटे से पहले-पहले उस बंगले से निकल जाते थे, यहां फिर उनकी लाशें वहां मिलती थी । बहुत खोजबीन के बाद भी यह कभी पता न चल सका की आखिर उस बंगले में रहने वाले लोगों की लाशें क्यों मिलती हैं ? अगर लाश नहीं मिली तो लोग क्यों इस बंगले को छोड़ कर चले जाते हैं ? यह रहस्य, रहस्य ही बना रहा । एक अठाईस वर्षीय हट्टा-कट्टा नौजवान था । उसका नाम अश्विनी परमार था । वो बहुत मजबूत होने के साथ-साथ बड़ा ही बहादुर भी था ।अश्वनी परमार को जब बंगले के बारे में पता लगा तो उसने ठान लिया कि वो इसका रहस्य जानकर रहेगा, क्यों लोग इस बंगले में नहीं रह पाते । मजबूत इरादे के साथ उसने बंगले में रहने की पूरी तैयारी की । जब वह बंगले की तरफ कदम बढ़ा रहा था तभी बंगले की मुख्य द्वार पर एक अन्जान व्यक्ति ने अश्विनी को रोक लिया । कहा- “सुनो भाई ।” अश्वनी ने उसे देखा वहीं रुक गया ।वो अन्जान व्यक्ति उसके करीब आकर बोला- “कहां जा रहे हो ?” “आपकी तारीफ ?” अश्विनी ने जवाब देने के स्थान पर उस व्यक्ति से प्रश्न्न किया ।“मेरा नाम अनुज रामपाल है । मैं यही करीब में रहता हूं ।” “ओह !” अश्विनी ने नम्रतापूर्वक दृष्टि उसके चेहरे पर गढ़ाई । “आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ?” अनुज ने पूछा । “मैं बंगले में जा रहा हूं ।” अश्विनी ने बताया । “ऐसी गलती मत करना ।” वो भयभीत स्वर में बोला । “इसमें गलत क्या है ?”“गलत तो कुछ भी नहीं है, मेरे भाई । मगर इस बंगले में तुम्हारा जाना सही नहीं है ।” “पर क्यों ?” “मैं जो कह रहा हूं, उसे समझो । सवाल मत करो ।” “पर कुछ तो कहिए ।”“वास्तव में इस बंगले में जाने वाले हर व्यक्ति की जान खतरे में पड़ जाती है । वो या तो मारा जाता है, या फिर जान बचाकर बुरी तरह भागता नजर आता है, तुम इस बंगले में मत जाओ । मेरी बात मानो और वापस घर लौट जाओ ।” “ठीक है, मैं वापस अपने घर लौट जाता हूं ।” अश्विनी ने कहा । “शाबाश ।” अनुज ने प्रसन्न स्वर में कहा । “मैं घर वापस तो जाऊंगा, मगर एक शर्त पर ।” “किस शर्त पर ?” “आपको यह बताना होगा कि आखिर इस बंगले में ऐसा क्या है कि आप मुझे इसमें जाने से रोक रहे हैं ?” “मैंने बताया न की इस बंगले में जाने से तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है ।” “हां, वो तो ठीक है, मगर वो खतरा क्या है जो सब लोगों के जान पर बन आता है ?”“इस बारे में कुछ भी कहना मुनासिब न होगा ।” “पर क्यों ?” “क्योंकि यह रहस्य तो आज तक कोई भी जान नहीं पाया ।” “फिर भी आपका अंदाजा क्या है ?” “मैं कुछ नहीं कह सकता ।”“आप यही करीब में रहते हैं, तो जाहिर सी बात है कि बंगला आपकी नजरों में रहता है । लिहाजा आप को थोड़ा तो आभास होगा कि इस बंगले में वह कौन सा खतरा है, जो लोगों के नाम मौत का पैगाम लिख देता है ?” “जहां तक मेरा ख्याल है तो वो यही है कि इस बंगले में भूत रहते हैं ।” “सच !” अश्विनी इस तरह प्रसन्न होकर बोला मानो उसकी बहुत बड़ी लाटरी निकल आई हो । |
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